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तन्हाई में खोया, अकेला हूँ मैं | Judai Aur Tanhai Ki Dastaan | Sad Ghazal | दर्द भरी ग़ज़ल

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“ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे “कहने को तो सब अपने हैं, पर सच में कोई साथ नहीं।” कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल https://youtu.be/Lug0ffByUck

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