आगामी संस्करणों के लिए योगानन्दजी की अभिलाषाएँ सारा जीवन में हम दूसरों से जान पहचान बढ़ाने में व्यस्त रहते हैं. खुद को पहचानने के बजाय उन्हें अच्छी तरह से पहचानने – समझने की कोशिश करते रहते हैं. इस प्रकार जीवन को चलने दीजिये, उसके बाद इस जन्म के बाद परमात्मा हमारा https://baglamukhi29406.total-blog.com/rog-mukti-no-further-a-mystery-64006306